फंगल इन्फेक्शन एक ऐसा त्वचा रोग है जो मुख्य रूप से फंगस के कारण होता है और इसे माइकोसिस भी कहा जाता है। कवक की विभिन्न प्रकार की प्रजातियां हैं; वे गंदगी, पौधों पर, घरेलू सतहों और आपकी त्वचा पर रहते हैं। वे त्वचा की कई समस्याओं को जन्म दे सकते हैं, जैसे कि चकत्ते या धक्कों।
स्वामी रामदेव बाबा का मानना हैं कि त्वचा रोग और संक्रमण मुख्य रूप से तनाव और खराब लीवर (यकृत) के कारण हो सकता हैं। यकृत को स्वस्थ रखने के लिए प्रत्येक मनुष्य को नियमित रूप से प्राणायाम करना चाहिए, इससे शरीर स्वस्थ और निरोगी रह सकता है।
किसी भी प्रकार के त्वचा रोगों से निपटने के लिए योगासन और प्राणायाम बहुत ही मददगार साबित होते हैं। साथ ही बाबा रामदेव फंगल इन्फेक्शन के लिए पतंजलि आयुर्वेद की कुछ दवाएं भी सुजाते है जैसे पतंजलि आयुर्वेदिक मेडिसिन फॉर फंगल इन्फेक्शन।
जब त्वचा संक्रमण अधिक है तोफंगल इंफेक्शन के लिए पतंजलि आयुर्वेदिक दवापतंजलि दिव्या काया कल्पवटी, पतंजलि नीम घनवटी, पतंजलि दिव्या आरोग्यवर्धिनीवटी ये दवाएं सुझाई जाती है और अगर त्वचा संक्रमण की शुरुआत है तो पतंजलि अलोएवेरा जेल और पतंजलि दिव्या कायाकल्प क्वाथ ये दवाएं बताते है।
फंगल संक्रमण (इन्फेक्शन) क्या होता है?
यह एक कवक संक्रमण के कारण होने वाला त्वचा रोग है जिसे माइकोसिस भी कहा जाता है। कवक की लाखों प्रजातियां हैं। वे गंदगी में, पौधों पर, घरेलू सतहों पर और आपकी त्वचा पर रहते हैं।
कभी-कभी, ये त्वचा की समस्याओं जैसे चकत्ते या धक्कों का कारण बन सकते हैं। जलन, खुजली,छाले, सूजन, लाली ये फंगल इंफेक्शन के लक्षण हैं। पैरों का दाद, दाद, खमीर संक्रमण, एथलीट फुट फंगल इंफेक्शन के प्रकार हैं।
वैसे तो फंगल संक्रमण एक आम समस्या है लेकिन अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह एक गंभीर रूप ले सकता है।
फंगल इन्फेक्शन कैसे होता है ?
फंगल इंफेक्शन तब होता है जब फंगस हमारी त्वचा पर हमला करते है। जिससे त्वचा पर लाल धब्बे, दाद, खुजली, जलन और त्वचा पर घाव दिखाई देते है। कवक हवा, मिट्टी, पौधों पर और पानी में रहते हैं।
कुछ मानव के शरीर में भी रहते हैं। इन्हे ख़त्म करना मुश्किल होता है लेकिन नाखूनों के संक्रमण के लिए हम सीधे संक्रमण पर दवाई लगा सकते है और जब संक्रमण गंभीर होता है तो कुछ दवाएं खानी पड़ती है।
आमतौर पर फंगल इन्फेक्शन में खुजली, जलन या रैशेज होते है लेकिन इसके और भी लक्षण है जैसे :त्वचा पर लाल धब्बे होना, त्वचा में दरार, त्वचा लाल होना, पपड़ी जमाना आदि। कमजोर प्रतिकार क्षमता, अधिक पसीना, ज्यादातर गर्म, नम वातावरण तथा नम त्वचा क्षेत्र इस संक्रमण के होने का प्रमुख कारण होते है।
कैंसर, मधुमेह जैसी बीमारियाँ भी फंगल संक्रमण का कारण बनती है। जो लोग एक फंगल इंफेक्शन से पीड़ित व्यक्ति से संपर्क में आते हैं, उन्हें भी संक्रमण हो सकता है। ऐसे में हम पतंजलि आयुर्वेदिक मेडिसिन फॉर फंगल इन्फेक्शन का प्रयोग कर सकते हैं।
फंगल इन्फेक्शन के क्या-क्या लक्षण है ?
आमतौर पर फंगल इन्फेक्शन में खुजली, जलन या चतक्के होते है लेकिन इसके और भी लक्षण है जैसे :
- त्वचा पर लाल धब्बे होना
- त्वचा में दरार
- त्वचा लाल होना
- पपड़ी जमाना
- रैशेष
- खुजली
- मुहं में जीभ पर सफ़ेद और लाल धब्बे
- झनझनाहट या जलन
- लाल छल्ले
- फुंसी जैसे धक्कों
- जलन
- सूजन
- दर्द
- मवाद
एक सफेद या पीला नाखून जो नाखून के बिस्तर से अलग होता है। आपकी जीभ पर और आपके गालों के अंदर सफेद धब्बे, दर्द, मुंह का खमीर संक्रमण है। त्वचा का फड़कना, छीलना या फटना ये भी फंगल इन्फेक्शन के लक्षण है।
फंगल इन्फेक्शन से कैसे बचे ?
हाल ही में फंगल इन्फेक्शन की समस्या तेजी से बढ़ रही है खांसकर मानसून में। इससे बचने के लिए हमे अपने रहन-सहन और खान-पान का ध्यान रखने की जरुरत है। इसके साथ -साथ ही कुछ ख़बरदारिया लेकर भी हम फंगल इन्फेक्शन से बच सकते है। जैसे
- त्वचा को सूखा और स्वच्छ रखे
- सूती कपड़े पहने
- पानी अधिक मात्रा में पिए
- बरसाती दिनों में बालो को ज्यादा देर गीले न रहने दे
फंगल संक्रमण की शुरुआती समय में होमियोपैथिक, एलोपैथिक उपचार बेहतर परिणाम देते हैं लेकिन आयुर्वेदिक उपचार भी ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।
फंगल इन्फेक्शन को ठीक करने के उपाय
बढ़ते फंगल संक्रमण को कुछ आसान और घरेलु नुस्खों को अपनाकर आसानी से ठीक किया जा सकता है। पतंजलि आयुर्वेद ने भी यहाँ कुछ घरेलु इलाज के नुस्के बताये है जिससे हम इस बढ़ते संक्रमण को घर पर ही कुछ हद तक ठीक कर सके।
वैसे तो इस फंगल इंफेक्शन का इलाज और दवाएं उपबल्ध हैं जैसे पतंजलि आयुर्वेदिक मेडिसिन फॉर फंगल इन्फेक्शन लेकिन कुछ ऐसे घरेलु इलाज और आयुर्वेदिक उपचार भी है जिनसे फंगल (कवक) संक्रमण अपने घर पर ठीक हो सकते हैं।
फंगल इन्फेक्शन का घरेलू इलाज
हल्दी का उपयोग- कोई भी इलाज करना हो चाहे वो कटना हो , चोट हो, मार हो या फिर कोई बीमारी, हल्दी का नाम सबसे पहले आता है। हल्दी हर घर में पायी जाती है। इसमें कई ऐसे गुण होते है जो कई बिमारियों को दूर करती है जैसे की जीवाणुरोधी, कवकविरोधी ।
फंगल संक्रमण को दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसे हम संक्रमित जगह पर हल्दी के पावडर को पानी मिलकर या कच्ची हल्दी को पीसकर लगा सकते है। जिससे संक्रमण के कारन बने दाग, धब्बे मिट जाते है।
नीम- किसी भी संक्रमण को ठीक करना हो तो नीम का उपजोग अवश्य होता है। नीम के पत्तों को पानी में डालकर नहाने से त्वचा रोगों का संक्रमण कम होता है। नीम के पत्तियों का ज्यूस घावों को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। नीम मुंह में इन्फेक्शन की दवा के रूप में भी काम करता है।
एलोवेरा- ये एक आम पौधा है। इसे जलन वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है। एलोवेरा को काट कर उसका बिच के हिस्से को इसधा संक्रमित जगह पर लगाने से दाह वाली जगह पर होने वाली जलन और सूजन कम हो जाएगी। ये संक्रमण से होने वाली जलन को मिटटी है।
नारियल तेल- नारियल तेल में फैटी एसिड होता है जो त्वचा रोगों के (फंगल) संक्रमण के पेशियों को मारने में मदद करता है। संक्रमण वाली जगह पर दिन में २-३ बार लगाने से आराम मिलता है। अगर आप इसे रोजाना इस्तेमाल करते है तो आप फंगल इन्फेक्शन से बच सकते है।
इसके अलावा फंगल इन्फेक्शन ठीक करने के लिए कुछ और तरीके है जैसे :
टॉपिकल एंटीफंगल- आप सीधे अपनी त्वचा, और नाखूनों पर क्रीम, जेल, मलहम या स्प्रे लगा सकते है।
ओरल एंटीफंगल- आप कैप्सूल, गोलियां या तरल दवा को निगल सकते है।
इंट्रावेनस एंटीफंगल- आपके हाथ के नस में एक इंजेक्शन दिया जाता है।
फंगल इंफेक्शन के लिए पतंजलि आयुर्वेदिक दवा
दिव्य कायाकल्प क्वाथ
दिव्य कायाकल्प क्वाथ आपकी त्वचा को पोषण देता है और कैंसर, कुष्ठ जैसे त्वचा रोगों में राहत देता है। दिव्य कायाकल्प क्वाथ, पतंजलि में फंगल इन्फेक्शन की दवा, आयुर्वेदिक लेकिन मजबूत जीवाणुरोधी और एंटिफंगल गुणों से पूर्ण जड़ी-बूटियों से बनाया गया है।
यह घावों को ठीक करता है, त्वचा की जलन को कम करता है और त्वचा को उसके सामान्य रंजकता को वापस पाने में मदद करता है। यह प्रतिकार क्षमता को बढ़ाने और आपको बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। यह पाचन तंत्र में भी सुधार लाता है और वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
दिव्य कायाकल्प क्वाथ पूरी तरह से आयुर्वेदिक है और इसका कोई हानिकारक परिणाम नहीं होता। त्वचा की गंभीर समस्याओं से हमेशा के लिए छुट्टी पाने के लिए दिव्य कायाकल्प क्वाथ रोजना लें।
विशेष सामग्री
- पंवादबीज (Cassia tora) – यह दाद / टिनिया संक्रमण, पित्ती, खुजली, एलर्जी त्वचा पर चकत्ते में उपयोगी है। इसमें कैंसर विरोधी क्षमता है। इसे बाहरी रूप से सांप के काटने के जहर के लिए उपयोग किया जाता है।
- दारुहल्दी (Berberi saristata) – इसका उपयोग आयुर्वेद में खुजली वाले त्वचा विकारों, मधुमेह आंखों के विकारों आदि के इलाज के लिए किया जाता है। घाव भरने में मदद करता है।
- करग (Caesalpinia- Bonducella) – यह एक आयुर्वेदिक औषधि है। यह हर तरह के बुख़ार में उपयोगी है। यह रूखापन कम करने में मदद करता है। हर दोषों को नियंत्रित करता है।
- अमला (Emblica officinalis) – आंवला के तत्व शरीर को जीवाणु और फंगल इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं। ऐसे में आंवला के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से बचाव होता है। आंवला अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है।
- गिलोय (Tinos pora cordifolia) – यह एक प्राचीन जड़ी बूटी है जिसका आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
- कुटकी (Picrorhi zakurroa) – अपने मजबूत एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों के कारण, कुटकी का उपयोग न केवल शरीर से बैक्टीरिया और कीटाणुओं को हटाने के लिए किया जाता है, बल्कि बार-बार होने वाले बुखार की स्थिति के लिए भी किया जाता है। यह सामान्य दुर्बलता, कमजोरी और थकान को कम करने में भी मदद करता है और शरीर की जीवन शक्ति में सुधार करता है।
- बकुची (Psoralea coryllifolia) – बकुची के अर्क में रक्त शोधक गुण होते हैं। रक्तशोधक जैसे दाद, एक्जिमा, डर्मेटोसिस, फटने की खुजली और लाल पपल्स की खुजली जैसी त्वचा की समस्याओं के इलाज में मदद करता है।
- बहेड़ा (Terminalia belirica) – बहेड़ा अपनी रसायन संपत्ति के कारण प्रतिकार क्षमता बढ़ाने और दीर्घायु को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह शरीर में संक्रमण से लड़ने और बार-बार होने वाले मौसमी त्वचा संक्रमणों को रोकने में मदद करता है।
- हल्दी (Curcuma longa) – इसमें कई ऐसे गुण होते है जो कई बिमारियों को दूर करती है जैसे की जीवाणुरोधी, कवकविरोधी । फंगल संक्रमण को दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसे हम संक्रमित जगह पर हल्दी के पावडर को पानी मिलकर या कच्ची हल्दी को पीसकर लगा सकते है। जिससे संक्रमण के कारन बने दाग, धब्बे मिट जाते है।
- खैर (Acacia catechu) – तीनों कवकों के कारण होने वाले रोगों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है।
- नीम (Azadira chtaindic) – नीम सिर में फंगल इन्फेक्शन का इलाज करता है और साथ ही त्वचा में हुए फंगल इन्फेक्शन को भी दूर करता है। इसमें मजबूत एंटिफंगल गुण होने के कारण, नीम के पत्ते एस्परगिलस, कैंडिडा अल्बिकन्स और माइक्रोस्पोरम जिप्सम सहित फंगल रोगजनकों को मार सकते हैं।
- मंजिष्ठा (Rubbia cordifolia) – नीम सिर में फंगल इन्फेक्शन का इलाज करता है और साथ ही त्वचा में हुए फंगल इन्फेक्शन को भी दूर करता है। इसमें मजबूत एंटिफंगल गुण होने के कारण, नीम के पत्ते एस्परगिलस, कैंडिडा अल्बिकन्स और माइक्रोस्पोरम जिप्सम सहित फंगल रोगजनकों को मार सकते हैं।
- चिरायता (Swertia chirata) – चिरायता मुंहासों सहित त्वचा की समस्याओं के प्रबंधन में उपयोगी है। शहद के साथ चिराता पाउडर का पेस्ट लगाने से लालिमा और सूजन कम हो जाती है और इसके विरोधी जीवाणुरोधी गुणों के कारण संक्रमण से बचाव होता है।
- हरड़ (Terminalia chubula) – हरड़ में गैलिक एसिड की उपस्थिति के कारण एंटीफंगल गुण होते हैं जो आगे चलकर रूसी को प्रबंधित करने में मदद करते हैं। रुसी फंगल इंफेक्शन के कारण होता है। इसमें हर तरह के त्वचा रोगों से लड़ने की शक्ति होती है।
- कलिजेरा (Centra theruman thelmint icum) – काला जीरा पारंपरिक आयुर्वेदिक दवा में त्वचा रोगों, जठरांत्र संबंधी समस्याओं, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आंतरिक रक्तस्राव, पक्षाघात, अस्थमा जैसे कई रोगों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।
- छोटीकतली (Solanum xantho carpum) – यह एक ऐंटिफंगल दवा है। इसका उपयोग कवक (खमीर) के कारण होने वाले त्वचा संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है। यह कवक का इलाज कर त्वचा को राहत पहुंचाता है।
- इन्द्रयनमूल (Citrullus colocynthis) – इसके जड़ों को पीसकर सूजन पर लगाने से रहत मिलती है। कान के घाव के लिए इसके फल को पीसकर गुनगुने तेल में मिलकर कान में डालें इससे इन्फेक्शन दूर होगा।
- देवदारु (Cedrus deodara) – इसके एंटी-फंगल गुणों के कारण इसका उपयोग किया जाता है। देवदरु तेल का सामयिक अनुप्रयोग अपने एंटिफंगल गुण के कारण त्वचा विकारों का प्रबंधन करने में मदद करता है। इसमें एक सूजनरोधी गुण होता है जिसके कारण इसका उपयोग सूजन और गठिया जैसी समस्याओं में किया जा सकता है।
- उश्वा (Smilax ornata) – खुजली और खुजली में राहत पाने के लिए फंगल संक्रमण में उपयोग किया जाता है। यह विभिन्न त्वचा रोगों के उपचार में मदद करता है।
फायदे और नुक्सान
Pros
- पतंजलि में फंगल इन्फेक्शन की दवा– दिव्या कायाकल्प क्वाथ लगभग हर तरह के त्वचा रोग के इलाज के लिए बाबा रामदेव दिव्य पतंजलि आयुर्वेद की एक आयुर्वेदिक दवा है।
- पतंजलि कायाकल्प क्वाथ पाउडर कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी प्रभावी है। इसमें मजबूत जीवाणुरोधी और एंटिफंगल गुण है।
Cons
- दवाओं के विशेषज्ञों मानना हैं कि फंगल इंफेक्शन की दवा कई दिनों तक लगातार खाने से लिवरमें संक्रमण हो सकता है।
- क्योंकि ऐसा कई मरीजों में देखा गया है कि दाद की दवा खाने के बाद लिवर की परेशानी लेकर अस्पताल पहुंचते है।
कैसे प्रयोग करे ?
5-10 ग्राम के सूखे मिश्रण की मात्रा को ४०० मिलीलीटर पानी में उबालें जब पानी १०० मिलीलीटर रह जाये, इसे छान कर पियें। इसे दो बार लेना है। सुबह खाली पेट और रात के खाने से एक घंटा पहले । काढ़ा बनाने से पहले मिश्रण को ८-१० घंटा भिगोना अधिक लाभदायक है । पतंजलि दिव्या कायाकल्प क्वाथ इसे गुनगुने पानी के साथ भी ले सकते है इससे कोई नुकसान नहीं है।
दिव्य कायाकल्प क्वाथ
- कायाकल्प क्वाथ एक्जिमा, सोरायसिस का इलाज करता है, और ल्यूकोडर्मा घावों को ठीक करता है, और त्वचा की जलन को शांत करता है।
- यह त्वचा को उसके सामान्य रंगद्रव्य को वापस पाने में मदद करता है और त्वचा की उपस्थिति में सुधार करता है।
- कीमत : 179 /- (80 गोलियां)
फंगल इन्फेक्शन की वैकल्पिक आयुर्वेदिक दवाएं
दिव्या कायाकल्प क्वाथ के अलावा फंगल इन्फेक्शन के लिए कुछ और भी दवाइयां है। फंगल इन्फेक्शन टेबलेट नाम लिस्ट व मरहम:
Product | Detail |
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डर्माहर्ब गोलियां | खुजली, और त्वचा रोगों के कारण होने वाले चकत्तों से राहत देता है। कीमत– २ का पैक २२८ /- |
गुनमाला आयुर्वेदिक मरहम | विभिन्न त्वचा संक्रमणों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। कवक विकास को रोककर काम करता है कीमत– १५० /- (१५ml) |
इम्यूप्सोरा टैबलेट | त्वचा की खुजली, सूखापन और स्केलिंग को कम करने में मदद करता है। कीमत– १२४/- (30 गोलियों की पट्टी) |
चंद्रप्रभा वटी | शरीर के सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में और बनाए रखने में मदद करता है। १००% प्राकृतिक उत्पाद। कीमत– ४१५/- (१२० गोलियाँ ७० ग्राम) |
फंगल इंफेक्शन से सम्बंधित सवाल
फंगल इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक उपचार क्या है?
ऑर्गेनिक नीम का तेल: नीम के तेल का इस्तेमाल सदियों से आयुर्वेद में फंगल इंफेक्शन के इलाज के लिए किया जाता रहा है।
नीम के पेड़ की पत्तियों और छाल से व्युत्पन्न, इस तेल में एक शक्तिशाली एंटीबायोटिक और सूजनरोधी क्रिया होती है। नहाने के पानी में जरूरत के हिसाब से पत्ते मिलाएं या नीम के पत्तों को पीसकर संक्रमित जगह पर लगाएं।
सेब का सिरका बेहतर परिणाम के लिए दिन में तीन बार बिना पतला सेब का सिरका विनेगर में भिगोए हुए रुई से संक्रमित हिस्से पर लगाए।
फंगल इन्फेक्शन के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?
दिव्य कायाकल्प क्वाथ आपकी त्वचा को पोषण देता है और कैंसर, कुष्ठ जैसे त्वचा रोगों में राहत देता है। दिव्य कायाकल्प क्वाथ आयुर्वेदिक लेकिन मजबूत जीवाणुरोधी और एंटिफंगल गुणों से पूर्ण जड़ी-बूटियों से बनाया गया है।
यह घावों को ठीक करता है, त्वचा की जलन को कम करता है और त्वचा को उसके सामान्य रंजकता को वापस पाने में मदद करता है। दिव्य कायाकल्प क्वाथ पूरी तरह से आयुर्वेदिक है और इसका कोई हानिकारक परिणाम नहीं होता। त्वचा की गंभीर समस्याओं से हमेशा के लिए छुट्टी पाने के लिए दिव्य कायाकल्प क्वाथ रोजना लें।
फंगल इन्फेक्शन होने के क्या कारण है?
आमतौर पर फंगल इन्फेक्शन में खुजली, जलन या रैशेज होते है लेकिन इसके और भी लक्षण है जैसे :त्वचा पर लाल धब्बे होना, त्वचा में दरार, त्वचा लाल होना, पपड़ी जमाना आदि।
कमजोर प्रतिकार क्षमता, अधिक पसीना, ज्यादातर गर्म, नम वातावरण तथा नम त्वचा क्षेत्र इस संक्रमण के होने का प्रमुख कारण होते है। कैंसर, मधुमेह जैसी बीमारियाँ भी फंगल संक्रमण का कारण बनती है। जो लोग एक फंगल इंफेक्शन से पीड़ित व्यक्ति से संपर्क में आते हैं, उन्हें भी संक्रमण हो सकता है।
ऐंटिफंगल दवा कैसे काम करती है?
एंटीफंगल दवा संक्रमित कोशिकाओं को बढ़ने और दोबारा विकसित होने से रोकती है। फंगल (कवक) कोशिकाओं को नष्ट करती हैं।
आखरी शब्द
साथ ही बाबा रामदेव फंगल इन्फेक्शन के लिए पतंजलि आयुर्वेद की कुछ दवाएं भी सुजाते है। जैसे की पतंजलि आयुर्वेदिक मेडिसिन फॉर फंगल इन्फेक्शन – दिव्य कायाकल्प क्वाथ जो की एक प्राकृतिक लेकिन मजबूत जीवाणुरोधी और एंटिफंगल गुणों वाली जड़ी-बूटियों से बनाया गया है। यह घावों को ठीक करता है, त्वचा की जलन को शांत करता है।
साथ में स्वस्थ रहने के लिए प्रत्येक मनुष्य को नियमित रूप से प्राणायाम करना चाहिए, इससे शरीर स्वस्थ और निरोगी रह सकता है। जो लोग कई तरह के चर्म रोग और फंगल इंफेक्शन से त्रस्त हैं उन लोगों को हर तरह के प्राणायाम रोजाना करना चाहिए। अपने आप को फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए दवाइयों के साथ-साथ घरेलु इलाज, प्राणायाम, योगासन से नियमित रूप से करे और स्वस्थ रहे।
उम्मीद है के आपको फंगल इंफेक्शन के लिए पतंजलि आयुर्वेदिक दवा के फायदे और नुक्सान और साथ ही उसमे इस्तेमाल की हुई सामग्री की पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अब भी आपके कोई प्रश्न हो तो आप हमसे बे-झिझक पूछ सकते है।